डिप्रेशन क्या है?
ये एक ऐसी मनोवैज्ञानक दशा होती है जब कुछ अचछा नही लगता, किसी भी चीज़ मे मन नहीं लगता, लगातार किसी चीज़ को लेकर िचंता
मे डूबे रहना, कोई चीज़ आपको सुख नहीं देपाती। पूरेिदन आप नेगेिटव सोचते है,आपके अंदर आघाती विचार भी आ सकते है। आज भागदौड़ की ज़ंदगी मे डिप्रेशन बात ही आम हो गया है, विस्वस्वाथ संगठन के मुतािबक दुिनया मे लगभग 30 करोड़ लोग डिप्रेशन के
शिकार हुए और 2030 तक डिप्रेशन मनाव की असमर्थता का दूसरा सबसे बड़ा कारण बनेगा। दुिनया मे 8 लाख लोग हर साल आत्या कर लेते है और डिप्रेशन इसका सबसे मुखय कारण है। भारत मे डिप्रेस्ड लोगों की संखया बहुतजादा है। world happyness inddx मे भी हम
बहुत पीछे रहते है।
सबसे पहले तो यह पता होना अचछी बात है कि आप डिप्रेशन मे है। जादातर लोगों को यह पता ही नहीं होता कि वो डिप्रेशन मे हे। इस मनोदशा को हम जीवन का पार्ट मान लेते हैऔर जैसे हम खुद है वैसे ही पूरी दुिनया भी है। मान लीजये आप भूखे है, आपको बहुत तेज़ भूख लग रही है, आप अपने घर जानेके लिए रेलवे या मेटो शनस्टेशन जाते हझ, वहां पर जितने भी लोगों को आप देखगे तो आपको ऐसा लगेगा
जैसे सब अपनेघर की तरफ जाना चाहते है कि सबको भूख लग रही है। अगर हम डिप्रेशन मे है तो पूरी दुिनया ही हमे डिप्रेशन मे लगती है। यह एक मनोवृित बन जाती हैऔर हम उस स्विकार कर लेते है। उसके बाद हम उस मसेिनकलनेकी कोिशश ही नहीं करते और धीरे धीरे ये भावना इतनी मजबूत होने लगती है, हमारे ऊपर इतनी हावी होने लगती हैिक उसके बाद उस मे से निकलने बहुत मुशिल हो जाता है। कुछ लोगों को तो पता ही नहीं होता कि खुशहाल जीना क्या होता है, कुछ को तो यह भी याद नहीं होगा कि वो आİखरी बार
खुलकर कब हँसे थे। टेलीिवज़न या मोबाइल पर कॉमेडी देखकर भी उसे हंसी नहींआती। वो यह ही मान बैठतेहै कि ज़िदगी ऐसी ही है और इसी मे वो comfortable हो जाते है। हंसना मानो एक रोग सा लगता है। हंसने के बाद अजीब सा लगता है, ऐसा लगता है कि कुछ
अलग कर रहे है। लेकन पूरेस मय टेशन लेना और चिंता मे डूबे रहना सामानय लगता है। कुछ तो यह सोच लेते है कि जब कुछ बन जाऊंगा तब खुश होऊंगा, अभी दुःख स्विकार कर लेता हूँ। जब दुखी रहना और चिंता रहने की आदत हो जाती है तब ऐसा लगता है कि जिस दिन चिंता नहीं ली, वह दिन कुछ अजीब था। डिप्रेशन के लक्षणों को हम तुरंत पहचानना है और तभी इसे दूर करने की दिशा मे हम कदम बढ़ा सकते है। किस तरह के विचार डिप्रेशन मे आते है? और मन मे उदासी और खालीपन होने लगता है, कम होना और अपनी नज़रों मे ख़ुद की कोई वैलयु होना,
खुद से ही नफरत करना। जब हमारी अपनी नज़रों मे इजत नहीं होती तो दुिनया के सामने जाने से हम कतराते है, हमारा घर से नकलने का मन ही नहीं करता। एक यह भी डर रहता हैि कि अगर हम कहीं जाएंगे तो कोई हमे जान पहचान का वयक्ति न मिल जाये, हम अजनबी ही बने रहना चाहते है और लोगों से घुलना मिलना हमे बहुत डराता है। दुिनया से अपने आप को दूर करने की कोिशश लगातार करते है।
रात को सोते समय अिनिद्र की परेशानी, घंटों आपको नीदं नहीं आती और नेगेिटव विचार आते रहते है। सुबह जब हम सोकर भी उठगे तो बिस्तर से से उठने का मन न करना भी अवसाद के लक्षण है। किसी एक चीज पर फोकस न कर पाना और एकाग्रता का एक दम शूनय हो
जाना, हमेशा नर्वस और घबरायेए रहना, घरवालों को खोने का डर हमेशा सताना, बिना किसी बात के मूड खराब होना भी अवसाद का सूचक है। गंभीर डिप्रेशन खुदकुशी के विचार आना भी सामानय है।
डिप्रेशन के साथ एक बहुत बड़ी समस्या यह है कि अगर आप इस से बाहर भी आ जाते हुए तो इतना समय आपका थयर्थ जाता है कि बाद
मे अधयन और दूसरी चीज़ों के लिए बचता ही नही।डिप्रेशन हमारे लिए मे बाधा कैसे बनता है? शारीरिक और मानिसक का स्वथत्य एक पक्षी के दाएं और बाएं पंखों के समान है, पक्षी को उड़ने के लिए दोनों तरफ के पंख चािहए। अगर एक ही तरफ पंख होगे तो वो उड़ नहीं पायेगा, उड़ना तो छोड़ये, ज़मीन से उठने के लिए जो बल चाहिए वो भी वकिसित नहीं कर पायेगा। इसी पक्षी की तरह शारीरिक और
मानिसक हमारे दाएं और बाएं पंख है, दोनों होगें तभी हम गति की ओर उड़ान ले पाएंगे। डिप्रेशन मे पहले हमारा
मानिसक संभािवत होता है, एक समय के बाद यह शारीरिक पर भी दुरभाव डालने लगता है।डप्रेशन के कई बार कुछ कारण होते है जैसे कसी नजदी वयक्ति का निधन, या गर्ल फेड या बॉयफेड से ब्रेकअप, या किसी
परीक्षा या वयापार मे विफलता, बेरोज़गारी, और अधिक मानिसक तनाव इत्यादि। डिप्रेशन से बचने के लिए सबसे पहली चीज़ जो आपको करनी चाहए वो है ईशर मे आस्था रखना, ईशर ने अगर आपको जखम दिया है तो मरहम भी उसी के पास है। ईशर से कई बार हम नाराज़
हो जाते है कि हमे ही यह दुःख क्यो मिला, या फिर मेरे साथ ही ऐसा क्यो हुआ? संत Rumi कहते थे क ज़ोखम वो स्थाथन है जहां से प्रकाश हमारे शरीर मे प्रवेश करता है। ईशर यह चाहते थे कि आप पहले से भी बेहतर हो जाएं इसीलए जीवन मे दुःख आता है।आपके जीवन मे कभी भी अगर कोई दुःख आया है तो आप पीछेमुड़कर देखियेऔर अपनेआप से सवाल कीजए कि आपका जीवन
उस दुःख से निकल ने के बाद पहले से बेहतर नहीं हुआ? क्या आपके वयकित्त मे निखार नहींआया? क्या आप आज मानसिक रुप से मजबूत नही है।दुःख वोआग है जो हम
उस तरह तपाकर मज़बूत करती है जैसे कि घड़े को कुमाहार तपकाकर मज़बूत करता है।
हम सब जीवन मे कभी न कभी कसी न कसी दुःख की वजह से उदास होते ही है।बस हम यह याद रखना चािहए कि यह दुःख था ही नही बने,तभी यह अवसाद बनता है।
दुःख बुरा नहीं है,बुरा है अविसवाश ।हम
यह विसवाश हमेशा होना चाहए कि एक दिन सुख जरुर आएगा इस से आत्मविशवास वढता है और सारी दुख को झेलने का विशवाश बढता है।
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